साथियों,
तीन माह से ज्यादा के अपने उत्तरी अमेरिका प्रवास से वापस आने के बाद अब आप लोगों से संपर्क कर रहा हूँ। अमरेका के पूर्वी समुद्र तटीय क्षेत्र में उन जगहों पर रहा, जहाँ ज्यादातर डेयरी और वाइनरी (वाइन) का व्यवसाय चलाया जाता है।
डेयरी कंसल्टेन्सी हमेशा से अपने क्लाएन्ट को उचित दर पर उत्कृष्ट तकनीकी सलाह देने के लिए वचनवद्ध रहा है और निरंतर रहेगा। अब अमेरिका से डेयरी व्यवसाय को देख परखने के बाद डेयरी कंसल्टेन्सी अपने क्लाएन्ट्स को और भी उत्कृष्ट तकनीकी सलाह दे पाने के लिए सक्षम और कटिवद्ध है।
डेयरी कंसल्टेन्सी से अकसर प्रश्न किया जाता रहा है कि 20-30 गाय के एक फार्म को तकनीकी और व्यावसायिक स्तर पर लगाने में कितना धन लगेगा? इस प्रश्न पर हमेशा से काम होता रहा है। कई तकनीक-विद इस पर ध्यान देते रहे हैं । कई विश्वविध्यालयों में भी इस विषय पर आँकड़े तैयार किए गए, परंतु जैसा कि आप सब समझते हैं, एक डेयरी फार्म खोलने में होने वाला धन-व्यय कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे;
(अ) स्थान, जहाँ फार्म खोला जा रहा है? (जमीन और अन्य कीमतें कहीं कम या कहीं ज्यादा हो सकती हैं)
(आ) उस स्थान की आर्थिक प्रगति (यदि शहर के पास है तो ज्यादा और यदि भीतरी देहात में है तो कम लागत होती है)
(इ) किस प्रजाति के दुधारू पशु फार्म में रखने हैं?
(ई) फार्म लेबर वहाँ किस कीमत पर उपलब्ध है?
(उ) फार्म में हरा चारा उगाने की जमीन है या नहीं, है तो समुचित है या नहीं? या चारा बाजार से खरीदना है?
(ऊ) चारा खेत, गायों के फार्म से कितनी दूरी पर स्थित है?
(ऋ) फार्म पर औटोमेशन की स्थित क्या है?
(ऌ) क्या फार्म पर दुग्ध उत्पाद भी बनाए जाएंगे? यदि हाँ तो उनके लिए प्लांट की कीमत? बड़ा या छोटा प्लांट?
(ऍ) फार्म से बाजार कितना दूरी पर है? आदि,
आइए, आज हम उपरोक्त सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, एक बीच का मार्ग अपनाते हुए, 20-30 गायों के एक फार्म पर किए जाने वाले व्ययों के विषय में जानकारी प्राप्त करते हैं। निम्न टेबुल इस ओर एक संक्षिप्त व्योरा ही प्रस्तुत करता है। विस्तृत जानकारी के लिए पाठक +91 8073147467 अथवा pkshrivastava54@gmail.com पर सीधे संपर्क कर सकते हैं।
उपरोक्त टेबुल के सभी आँकड़े डा पी के श्रीवास्तव के द्वारा मानक के आधार पर डेवेलॅप किए गए हैं (कृपया कॉपी न करें)
उपरोक्त टेबुल में दो प्रकार के व्यय दिखाए गए हैं।
(1) कैपिटल व्यय और (2) ऑपरेटिंग व्यय।
कैपिटल व्यय वह व्यय है जिसे व्यापार में एक बार लगाया जाता है और पुनः तभी लगाया जाता है, जब व्यवसाय की सीमा अथवा प्रोसेसिंग बढ़ानी होती है । ऑपरेटिंग व्यय वह व्यय है जिसे नित्य प्रति के कार्य को सम्पन्न करने के लिए लगाया जाता है। यानि ऑपरेटिंग व्यय व्यापार के नित्य-प्रति चलाने के लिए लगाया जाता है।
इस टेबुल में कैपिटल व्यय तो पूरे फार्म के खर्च पर दिखाया गया है, परंतु ऑपरेटिंग व्यय केवल दो माह के लिए ही लिया गया है । यह व्यय केवल दो माह के लिए इसलिए लिया गया है, क्यूँकि यह माना जाता है कि करीब 60 दिनों में फार्म अपने यहाँ से उत्पादित दूध और अन्य फार्म प्रोडक्ट से अपना रेकरिंग व्यय निकलने लगेगा। यहाँ दिखाया गया ऑपरेटिंग कास्ट एक प्रकार से वर्किंग कैपिटल व्यय है। मतलब यदि 20-30 गायों का एक फार्म खोलना है तो कमसे कम इतने कैपिटल और इतने वर्किंग कैपिटल (ऑपरेटिंग) धन की आवश्यकता तो होगी ही।
यहाँ कुछ मता-मत हो सकते हैं, जैसे कि;
(अ) हम तो पक्का मिल्किन्ग शेड नहीं बनाएंगे,
(आ) या हम तो बछिया नहीं खरीद कर केवल दो ब्याँत की गायें ही लेंगे
(इ) या हम गायों को पेड़ के नीचे ही बांध कर फार्म चलाएंगे
(ई) या हम केवल गाय न रखकर भैंसें भी रखेंगे
(उ) या हम लेबर न रखकर अपने घर के आदमियों का उपयोग करेंगे
(ऊ) या हम हरा चारा खरीद कर खिलाएंगे, क्यूंकि चारा उगाने के लिए हमारे पास जमीन नहीं है, आदि।
इन प्रश्नों पर हमारा अनुरोध है कि व्यसायिक डेयरी लगाने में हमें इन बातों का ध्यान तो रखना ही होगा कि हम कहाँ से और किस प्रकार से व्यावसायिक व्यय को कम कर सकें, परंतु जब हम बीच के मार्ग की बात करते हैं तो हमें कुछ पैरामीटर को मान कर चलना होता है, जिसे हम एजम्प्शन (assumption) कहते हैं।
फ़ोटो: डा पी के श्रीवास्तव, केरल में एक फार्म
एक बात और बता देना चाहता हूँ कि हमने एक तकनीकी व्यसायिक डेयरी के लिए बजट बनाया है, एक “खटाल” के लिए नहीं। कई बार लोग गायों भैंसों का डेयरी व्यवसाय बीच बाज़ार में खोल देते हैं, यह समझकर कि दूध आसानी से बिक जाएगा, परंतु उन्हें पता नहीं होता की इससे जानवर और मनुष्य दोनों के स्वास्थ्य को बड़ा नुकसान होता है। शहर में एक बंद और सीमित गलीज स्थान पर कई जानवरों को एक साथ रखकर जो डेयरी खोली जाती है उसे खटाल कहते हैं । खटाल शहरों में और तकनीकी डेयरी फार्म गांवों में लगाए जाते हैं। खटाल का व्यवसाय इसलिए अच्छा नहीं होता क्यूँकि;
(1) खटाल में पशु को ज्यादातर एक व्यांत के लिए ही रखा जाता है, दूध सूखने के बाद उस पशु को शहर में रखना आर्थिक रूप से कठिन हो जाता है तो निकल दिया जाता है । एक अच्छे नस्ल के पशु का नुकसान होता है।
(2) डेयरी फार्म से अधिक मीथेन निकलता है, एक संकरी अंधेरी जगह पर ज्यादा मीथेन होने के कारण कार्बन फुट प्रिन्ट और भी ज्यादा हो जाता है, जो जानवरों और मनुष्य दोनों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता है। अतः हम कॉन्सलटेंट्स इसकी सलाह नहीं देते।
हमने केवल एक मध्य मार्ग चुना है, यानि एक बीच का रास्ता अपनाया है, जिसपर चलकर आप एक व्यावसायिक डेयरी फार्म आसानी से खोलकर उसे निरंतर बिना रुकावट के चला पाएंगे और लाभ भी कमा पाएंगे। योजनायें जब भी बनायीं जातीं हैं, उन्हें लॉंग-टर्म (लंबे समय) के लिए बनाया जाता है तथा उसमें समस्त खर्चों के अनुमान लगाकर धनराशि का प्रविधान किया जाता है। उसी प्रकार से यहाँ इस टेबुल में किया गया है।
टेबुल में जो भी मूल्य लिए गए हैं वो बाजार-मूल्यों को ध्यान में रखकर लिए गए हैं। ये कहीं किसी स्थान विशेष पर कम या अधिक हो सकते हैं, जैसे कि बाजार मूल्य स्थान-स्थान पर घटते-बढ़ते रहते हैं। टेबुल में मूल्यों को यूनिट के रूप में भी दर्शाया गया है और उनके गुणात्मक आँकड़े निकालकर योजनाबद्ध तरह से व्यवस्थित किया गया है। ध्यान रहे, ये आँकड़े व्यागतिगत अनुभव के आधार पर लिये गए हैं, जैसा कि लेखक ने अपने 42 वर्षों के अनुभव में देखा-परखा है। अतः इन आंकड़ों पर विश्वास करके एक डेयरी फार्म की स्थापना पर भरोसा किया जा सकता है। संभव है इस टेबुल में कुछ व्यय छूट गए हों, तो उन्हें जोड़कर ही अपने फार्म की शुरुआत करनी चाहिए । अधिक जानकारी के लिए उपरोक्त नंबर या ईमेल पर लेखक से सीधे संपर्क कर लेना चाहिए।
यू-ट्यूब या व्हाट्सप्प पर दी गई जानकारियां अकसर अधूरी अथवा तर्क के विपरीत होतीं हैं, उनपर भरोसा करना एक गलत कदम भी हो सकता है। बिना अनुभव या तकनीकि ज्ञान के यू-ट्यूब अथवा व्हाट्सप्प पर मिल रही जानकारी पर भरोसा करके डेयरी व्यवसाय में कदम नहीं रखना चाहिए। किसी न किसी डेयरी-व्यवसाय-विद से शुरुआती सलाह अवश्य ले लेनी चाहिये । आप अज्ञान के कारण व्यवसाय के शुरुआती नुकसान से बच पाएंगे।
कैपिटल व्यय अकसर ज्यादा होते हैं और उन्हें सावधानी से टाइम के आधार पर ही व्यय करना चाहिए। जैसे यदि फार्म में कोई प्रक्रिया दूसरे या तीसरे वर्ष में करनी है तो उसका व्यय उसी वर्ष में दिखाना चाहिए। यहाँ बताता चलूँ कि इसीलिए DPR (प्रोजेक्ट रिपोर्ट) में 5 वर्षों का समय काल रखा जाता है और आँकड़े 5 वर्षों में प्लान किए जाते हैं। यदि डेयरी फार्म पर प्लांट तीसरे वर्ष में लगना है तो उसका खर्च तीसरे वर्ष में ही लिया जाएगा (इस टेबुल में यह व्यवस्था नहीं दिखाई गई है)।
उपरोक्त टेबुल में फार्म लगाने में 80% खर्चे कैपिटल व्यय पर और मात्र 20% खर्चे ऑपरेटिंग व्यय पर दिखाए गए हैं। जैसा पहले लिखा गया है, ऑपरेटिंग व्यय केवल 2 माह के लिए ही हैं। दो माह बाद फार्म अपने उत्पादित दूध और फार्म के अन्य उत्पादों की बिक्री से अपना ऑपरेटिंग खर्च निकालता रहेगा।
टेबुल दर्शाता है कि एक तकनीकि-व्यवसायिक-गायों के फार्म खोलने में, दो प्रकार के जमीन की आवश्यकता होती है। एक तो जहाँ गायों को रखा जाता है, दूध निकाला जाता है और दूसरा जहाँ गायों के लिए हरा चारा उगाया जाता है। इस लिए जहाँ गायों को रखना होता है वो जमीन तो खरीदनी पड़ती है और जहाँ चारा बोया जाएगा उसके लिए जमीन या चारा लीज पर लिया जाता है। लीज के जमीन का किराया-खर्च भी रेकरिंग व्यय में लिया जाता है, जो यहाँ कैपिटल व्यय में लिया गया है, क्यूंकि यहाँ आँकड़े एक वर्ष के लिए ही दिखाए गए हैं ।
मोटे तौर पर प्रति जानवर 1.10 से 1.25 लाख के करीब कैपिटल व्यय होता है । उसी अनुपात में धन की व्यवस्था करके ही डेयरी फार्म का व्यवसाय खोलने की योजना बनानी चाहिए। टेबुल यह भी इंगित करता है कि 30 जानवरों का एक व्यावसायिक फार्म चलाने में, यदि सारे खर्चे (खिलना, लेबर, दवा, आदि) जोड़कर देखें तो करीब 14-15 हज़ार प्रति माह का खर्च आता है। अब यदि व्यवसाय को सतत लाभ में चलाना है, तो कम से कम प्रतिमाह 20-25 हज़ार रुपये की आमद तो होनी ही चाहिए, तभी इस व्यसाय में हाथ डालें, अन्यथा आप डेयरी व्यवसाय न चुनें, किसी तकनीकि-विद से राय लेकर समुचित प्लानिंग करवा लें, तभी “डेयरी-फार्म” व्यवसाय में इन्वेस्ट करें।
निम्न बातों पर अवश्य ध्यान दें:
(अ) यदि जमीन अपनी न हो तो गायों की डेयरी फार्म न खोलें
(आ) गायों की डेयरी शहर से दूर खुली जगह पर जहाँ पानी न लगता हो, खोलें
(इ) यदि चारा उगाने के लिए समुचित जमीन न मिले तो गायों की डेयरी न खोलें
(ई) यदि फार्म के उत्पादों को बेचने की व्यवस्था न कर पाएं तो डेयरी फार्म न खोलें
(उ) यदि गोबर से महक आती हो और गायों के साथ समय न बीता सकें तो डेयरी व्यवसाय कभी न चुनें
(ऊ) यदि कहीं से प्रशिक्षण न लिया हो या कोई पूर्व अनुभव न हो तो बिना कंसल्टेंट के डेयरी फार्म न खोलें
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लेखक: डॉ पी के श्रीवास्तव,
रिटायर्ड अधिकारी -एन डी डी बी आनंद, गुजरात
डेयरी व्यवसाय कंसल्टेंट, डेयरी कंसल्टेंसी, बंगलोर, भारत
फोन: +918073147467; www.dairyconsultancy.in
Email: pkshrivastava54@gmail.com Date: 03.11.22
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